औरैया 30 दिसम्बर 23-फफूंद नगर में स्थित खानकाह हाफिजे बुखारी ख्वाजा अब्दुस्समद चिश्ती का 122वां सालाना उर्स मुबारक का आगाज़ ख़ानक़ाह के सज्जादा नशीन हजरत सैयद अख़्तर मियाँ चिश्ती की सरपरस्ती में सबे असलमी की महफिल के साथ हो गया है। आस्ताना आलिया समदिया पर दूर-दूर से अकीदतमंदों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। शनिवार को उर्स के पहले दिन से ही उर्स के कार्यक्रम की शुरुआत हो गयी है। उर्स में जायरीनों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है।
हिंदुस्तान की सुप्रसिद्ध ख़ानक़ाह आस्ताना आलिया समदिया फफूंद शरीफ में हुज़ूर हाफिज़-ए-बुख़ारी सैयद शाह ख्वाजा अब्दुस्समद चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह का सालाना उर्स हर साल की तरह इस साल भी बड़े ही अकीदत और सादगी के साथ मनाया जा रहा है जिसको लेकर ख़ानक़ाह आस्ताना आलिया समदिया में दूर दराज से जायरीनों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। शनिवार को उर्स के पहले दिन की शुरुआत सुबह फज्र की नमाज़ के बाद क़ुरआन ख्वानी के साथ हुई तथा दोपहर बाद नमाज़ ज़ुहर हुज़ूर हाफ़िजे बुख़ारी सैयद शाह ख्वाजा अब्दुस्समद चिश्ती तथा असर की नमाज के बाद हुज़ूर ख्वाजा बन्दा नवाज़ सैयद शाह मिस्बाहुल हसन चिश्ती व हुज़ूर सैयद अकबर मियाँ चिश्ती के मज़ारात शरीफ के ग़ुस्ल की महफ़िल हुई और महफ़िल-ए- मीलाद का आगाज़ हुआ और बाद नमाज़ मगरिब मेहमानों को लंगर खिलाया गया। इशा की नमाज के बाद गागर शरीफ का जुलूस नगर के तयशुदा रास्तों मुहल्ला मोतीपुर,जुबैरी,सब्जी मंडी तथा बरकीटोला होता हुआ देर रात आस्ताना आलिया पर आकर समाप्त हुआ। गागर के जुलूस में अकीदतमंद लोग अपने सरों पर गागर (कलश) रखकर चल रहे थे और कव्वाल बेहतरीन कलाम पढ़ते जा रहे थे।गागर के जुलूस में सैंकड़ों की संख्या में जायरीन व अकीदतमन्दों ने शिरकत की।इससे पहले शुक्रवार की देर रात शब-ए-असलमी के नाम से तरही मुशायरे की महफ़िल हुई जिसमें क्षेत्रीय व बाहर से आये हुए शायरो ने अपने अपने कलाम पेश किए । शायरे आस्ताना सैयद मंझर चिश्ती ने अपने कलाम-आ गए हैं ज़ाहिराने वक़्त भी फिर महकशी का ज़माना आ गया,जिनको कहता है ज़माना कुतबे ज़मां, उर्स उनके मौलवी का आ गया। शायर मुस्तकीम उर्फ बाबा चिश्ती ने अपने कलाम आपके दर का भिखारी उर्स में, उम्र भर का लेने हिस्सा आ गया। के ज़रिए लोगों की वाह वाही लूटी।
उर्स के दूसरे दिन रविवार को उर्स के सभी कर्यक्रम दरगाह के अहाते के अंदर होंगे जिसमें सुबह नौ बजे महफ़िल-ए-मसाइले शरिया का आगाज़ होगा उसके बाद महफिले समां उसके बाद संदल शरीफ व चादर व गागर शरीफ का कार्यक्रम होगा।