औरैया 26 सितम्बर 24-जिला कृषि अधिकारी शैलेंद्र कुमार वर्मा ने अवगत कराया है कि जनपद में उर्वरक की कोई कमी नहीं है, कृषक भाई उर्वरकों का प्रयोग सन्तुलित मात्रा में करें।
कृषि क्षेत्र में असन्तुलित मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग किये जाने के कारण मृदा स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है एवं मृदा की उर्वरा शक्ति भी कम हो रही है। किसान भाइयों को सलाह दी जाती है, कि मृदा परीक्षण के उपरान्त संस्तुति मात्रा के अनुसार उर्वरकों का प्रयोग करें। वर्तमान रबी वर्ष-2024-25 में रबी फसलों की बुवाई का कार्य प्रारम्भ हो रहा है। जिसमें फास्फेटिक उर्वरकों के रूप में डी०ए०पी० का प्रयोग कृषकों द्वारा संतुलित मात्रा में किया जाता है। डी०ए०पी० में फास्फोरस 46 प्रतिशत, नाइट्रोजन 18 प्रतिशत और पोटाश शून्य प्रतिशत पाया जाता है, जिससे फसलों को आवश्यक मुख्य सभी पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। ऐसी दशा में किसान भाई कॉम्प्लेक्स उर्वरक के रूप में एन०पी०के०/ एन०पी०के०एस० का प्रयोग करके पौधे को संतुलित पोषक तत्व उपलब्ध कराकर अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त डी०ए०पी० के विकल्प के तौर पर सिंगल सुपर फास्फेट और यूरिया का प्रयोग करके फसलों को फास्फोरस, नाइट्रोजन के साथ सल्फर एवं कैल्शियम तत्व की पूर्ति की जा सकती है, साथ ही फास्फोरस की पूर्ति के लिये जैव उर्वरक फॉस्फेट रिच ऑर्गेनिक मैन्योर (प्रोम) का प्रयोग भी किया जा सकता है। वर्तमान में जनपद में 4719 मै.टन डी०ए०पी०, 11757 मै.टन यूरिया, 806 मै.टन एस०एस०पी०, 594 मै. टन एम० ओ० पी०, और 1959 मी. टन एन०पी०के० उपलब्ध है, साथ ही 740 मै.टन कृभको कंपनी की डी०ए०पी० आज दिनांक 26.09.2024 को इटावा रैक प्वाइंट से प्राप्त हुयी है । जिसका वितरण निजी एवं सहकारी उर्वरक वितरण केंद्रों के माध्यम से किया जा रहा है। इस प्रकार जनपद में उर्वरक की कोई कमी नहीं है। डी०ए०पी० के स्थान पर एन०पी०के० का प्रयोग से फसलों को मुख्य आवश्यक तत्व प्राप्त हो जाते हैं तथा फसल के गुणवत्ता एवं पैदावार भी अच्छी होती है जिससे फसल में रोग/ कीट से कम हानि होती है। कृषक भाई रासायनिक उर्वरकों के साथ फसलों में जैव उर्वरकों जैसे- दलहनी फसलों में राइजोबियम तथा खाद्यान्न फसलों में
एजोटोबैक्टर एवं एजोस्पाइरिलम का प्रयोग कर सकते हैं। कृषक भाइयों द्वारा डी०ए०पी० एवं यूरिया के विकल्प के तौर पर नैनो डी.ए.पी. एवं नैनो यूरिया के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए। कृषक भाइयों से पुनः अपील है, कि फसलों में उर्वरक का प्रयोग संतुलित मात्रा में करें और अपनी जोत और फसल के आवश्यकतानुसार क्रय करके उपयोग करें। उर्वरक का अनावश्यक भंडारण न करें, जिससे सभी कृषकों को सहूलियत मिल सके। यदि फिर भी किसी किसान भाई को कोई समस्या हो तो कार्यालय में स्थापित कंट्रोल रूम नं.- 05683-299006 पर या लिखित रूप में अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
जिला कृषि अधिकारी ने जनपद के समस्त कृषक भाइयों को अवगत कराया है कि रबी फसलों की बुवाई प्रारम्भ हो रही है। वर्तमान समय में जनपद के समस्त राजकीय कृषि बीज भण्डारों पर सामान्य वितरण हेतु तोरिया प्रजाति-उत्तरा आधारीय का बीज उपलब्ध है, जिसका विक्रय मूल्य 110 रू. प्रति किग्रा है, जिसको 50 प्रतिशत अनुदान के बाद रू. 55 प्रति किग्रा की दर से तथा चना प्रजाति आर.वी.जी. 202 प्रमाणित बीज जिसका विक्रय मूल्य 98.30 रू. प्रति किग्रा है जिसको 50 प्रतिशत अनुदान के साथ 49.15 प्रति किग्रा की दर से कृषक भाई क्रय कर सकते हैं।
इसी के साथ जनपद के समस्त राजकीय कृषि बीज भण्डारों पर तोरिया प्रजाति पी.टी.-508 प्रमाणित एवं सरसों प्रजाति आजाद महक प्रमाणित का बीज मिनीकिट (प्रति मिनीकिट 2 किग्रा के पैकेट में) उपलब्ध है। 2 किग्रा बीज मिनीकिट 1 एकड़ क्षेत्रफल हेतु पर्याप्त है। सामान्य बीज एवं मिनीकिट प्राप्त करने वाले लाभार्थी कृषक का किसान पंजीकरण agriculture.up.gov.in एवं pm kisan samman nidhi योजना में पंजीकृत होना अनिवार्य है तथा इसका वितरण पी०ओ०एस मशीन से बायोमैट्रिक प्रक्रिया के माध्यम से किया जायेगा।
अतः जिन किसान भाइयों को 1 एकड़ क्षेत्रफल में तोरिया एवं सरसों की बुवाई करनी है, उनसे अपील है कि अपने विकासखण्ड के राजकीय कृषि बीज भण्डार पर आधार कार्ड के साथ स्वयं उपस्थित होकर उच्च गुणवत्ता का तोरिया एवं सरसों बीज मिनीकिट निःशुल्क प्राप्त कर इसका लाभ लें। तोरिया, चना एवं सरसों का बीज पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर वितरित किया जा रहा है। विकास खण्डवार आपूर्ति किए गए तोरिया, चना एवं सरसों के बीज एवं मिनीकिटका विवरण निम्नवत है-