प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से गुहार लगाते हुए सुसाइड लेटर और मोबाइल और बैग पटरी किनारे छोड़कर ट्रेन से कटकर दे दी जान,
जब इस मामले में सुदिति ग्लोबल स्कूल प्रबंधक डा. आनंद मोहन से इस मामले की सच्चाई जानने के लिए उनसे बात करने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल no. नेटवर्क एरिया के बाहर बताता रहा,
औरैया 26 दिसम्बर 23-सुदिति ग्लोबल स्कूल में शिक्षण कार्य कर रहे गणित के एक ने स्कूल से निकाले जाने के बाद ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली। सूचना पर पुलिस पहुंची को मृतक की जेब में एक सुसाइड नोट बरामद हुआ। जिसमें शिक्षक ने अपनी गरीबी और लाचारी का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को सम्बोधित करते हुए एक पत्र लिखा है,कि आप बहुत सी जगह जाते रहते है, मेरे मरने के बाद मेरे घर आकर परिवार का साहस बढ़ा देना। साथ ही यह भी लिखा है खुदकुशी करना ठीक नहीं होता लेकिन मुझे बहुत दिनो से परेशान किया जा रहा है। सूचना पर रोते बिलखते परिजन भी आ गए। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है।
कन्नौज जिले के छिबरामऊ के मोहल्ला भेनपुरा नई बस्ती निवासी प्रवीण कुमार पुत्र संतराम सक्सेना औरैया के सुदिति ग्लोबल स्कूल में मैथ का टीचर था। सुसाइड नोट के अनुसार उसे स्कूल ने पढ़ाने से मना कर दिया। इसके बाद वह मानसिक अवसाद में था। इस कारण उसने दिबियापुर में पश्चिमी केबिन की तरफ जाकर मालगाड़ी के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली। जब लोगों ने देखा तो इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने शव ट्रैक से हटाया। शव के पास एक बैग मिला जिसमें दो पन्ने का सुसाइड नोट रखा। सुसाइड नोट एक प्रार्थना पत्र के रूप में लिखा गया जो की प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को संबोधित किया गया है।
सुसाइड नोट में मृतक ने पहले अपना नाम पता लिखते हुए अपनी बेबसी और लाचारी व्यक्त हुए लिखा है, कि वह सुदीति ग्लोबल में दो वर्षों से पढ़ा रहा है और अब उसे स्कूल से निकाल दिया गया है। वह तीन भाई है, जिसमे से एक भाई का इलाज चल रहा है, और दूसरा एंबुलेंस में ईएमटी था उसकी भी नौकरी चली गई। पिता टूटी साइकिल पर सब्जी बेचता है और बीमार भी हैं। बहन की शादी के योग्य है, उसकी नौकरी छूट जाने के बहन की शादी की जिम्मेदारी भी उस पर ही थी वह स्कूल में बहुत मेहनत से पढ़ा रहा था। अब बीच सत्र में निकाले जाने से अब वह क्या करे, क्योकि अगला सत्र जुलाई में शुरू होगा तब तक वह घर कैसे चलाएगा, घर भी नही बना है, सरकार की तरफ से कोई ऐसी सुविधा भी नही मिली है। साथ ही यह भी लिखा है कि इस मामले में स्कूल के बच्चो की पर पढ़ाई का कोई प्रभाव नहीं पढ़ना चाहिए, उसने बहुत ईमानदारी से पढ़ाया है। उसे परेशान किया गया। जबकि रिजल्ट भी बहुत अच्छा रहा। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जी से हाथ जोड़कर निवेदन है की मेरा मृत शरीर देखकर परिवार प्राण त्याग सकता है। पुत्र शोक दुनिया का सबसे बड़ा दुख है। आपसे निवेदन है की आप मेरे घर आकर मेरे परिवार को साहस दे।
आप लोग बहुत जगह जाते रहते है, तो मेरे घर आकर भी मेरे परिवार को साहस दें। अगर एक जवान शहीद होता है तो उसे भी शिक्षक ही पढ़ाता है। तब वह देश के लिए तैयार होता है। महोदय खुदकुशी करना ठीक नहीं है यह मुझे भी मालूम है लेकिन मुझे बहुत दिनो से परेशान किया जा रहा है, आपसे निवेदन है की आप मेरे परिवार को साहस दें। जब इस मामले में सुदिति ग्लोबल स्कूल प्रबंधक डा. आनंद मोहन से इस मामले की सच्चाई जानने के लिए उनसे बात करने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल no. नेटवर्क एरिया के बाहर बताता रहा,
एक होनहार शिक्षक की ऐसी मौत तमाम निजी शिक्षण संस्थानों पर, उनकी प्रताड़नाओं पर बड़े सवाल पैदा करती है, लाखों करोड़ों कमाने वाले ये निजी शिक्षण संस्थान शिक्षकों से कैसा व्यवहार करते है, यह शिक्षक की मौत ने बता दिया है, परिवार ने मांग की है, कि दोषियों पर कठोरतम कार्यवाही की जाए