1 पुराने मामले में सीमा को 4 साल की कैद-जानें-जरायम की दुनिया से फिल्म नगरी तक का सफर

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औरैया 22 फरवरी 24-सीमा परिहार यूं ही दस्यु नहीं बनी थी। अयाना के गांव बबाइन स्थित घर से उसे 13 वर्ष की उम्र में डकैत निर्भय गुर्जर उठा ले गया था। कुछ वर्षों तक वह उसके साथ गैंग में रही। बाद में उसे डकैत लालाराम उठा ले गया। इसके बाद वह दस्यु बन गई।

सीमा परिहार ने जरायम की दुनिया में रहने के बाद टीवी धारावाहिक ‘बिग बास’ तक का सफर तय किया। उसने राजनीति में भी जगह बनाने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। उसके खिलाफ पहला मुकदमा वर्ष 1988 में जालौन जिले के कुठौंद थाने में लूट का दर्ज हुआ था। तब उसकी उम्र 18 वर्ष थी। इसके बाद धीरे धीरे उसके खिलाफ औरैया के साथ ही आसपास के जनपदों में भी मुकदमे दर्ज होने शुरू हो गए।  मुकदमों की सूची लंबी होती चली गई। वर्ष 1989 में उसकी हिस्ट्रीशीट खोल दी गई। उन दिनों सीमा का आतंक अपने चरम पर था। सीमा और लालाराम ने आसपास के जनपदों में अपना आतंक फैला रखा था। निर्भय से रिश्ता तोड़ने के बाद 1998 में सीमा ने उस शख्स से ही शादी कर दी जिसने उसका कन्यादान किया था। दरअसल, निर्भय से जब सीमा की शादी हुई थी तब डाकू लालाराम ने उसका कन्यादान किया था। निर्भय को छोड़कर डाकू लालाराम से शादी कर ली थी। उससे उसको 1999 में एक बेटा भी हुआ. लेकिन, जब वह 10 माह का था तब लालाराम पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। इसके बाद सीमा अकेली पड़ गई। सीमा के एक बेटा भी है। वर्ष 2000 में लालाराम पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। उसके बाद गिरोह बिखरने लगा। वह अकेली पड़ गई। वर्ष 2000 में ही बीहड़ से शहर के जालौन चौराहे पर पहुंची। यहां उसने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था।                                                                                                                                वर्ष 2002 में जमानत पर बाहर आई तो उसने अपना आवास दिबियापुर में बनाया। वर्ष 2010 में उसको अभिनेता सलमान खान के टीवी-शो ‘बिग बास-4’ में जाने का मौका मिला। इससे वह फिर से सुर्खियों में आई थी। इसमें 76 एपिसोड तक सीमा रहीं और अपनी पूरी धाक जमाई। इसके बाद बिग बॉस से आउट हो गई। वर्ष 2002 में अपहरण के मामले में जमानत पर जेल से बाहर आई सीमा परिहार ने जीवन की नई पारी की शुरुआत की। बीहड़ में गुजारे दिनों को भुलाकर गृहस्थ जीवन में पैर रखा। मां का फर्ज निभाते हुए बेटे की पढाई पर विशेष ध्यान दिया। सामाजिक सरोकारों में भी उसकी बराबर हिस्सेदारी रही।

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