औरैया 21 दिसंबर 23-अमर क्रांतिवीर चंद्रशेखर आजाद द्वारा ‘क्रांतिकारियों के द्रोणाचार्य’ की उपाधि से विभूषित पं. गेंदालाल दीक्षित को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। भारत प्रेरणा मंच की अगुआई में निकले लोगों के जत्थे ने जमकर देशभक्ति के नारे लगाए। प्रमुख चौराहे पर स्थित पंडित गेंदालाल की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन किया गया।
गेंदालाल दीक्षित चौराहा स्थित प्रतिमा पर श्रद्धाजंलि के दौरान समाजसेवी लालजी शुक्ल ने कहा कि क्रांतिवीर दीक्षित जी ने औरैया की धरती को आजादी के संघर्ष में अपनी कर्मस्थली बनाकर शहर के इतिहास को स्वर्णिम पहचान दी। आजादी के संघर्ष में उनके बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता । भारत प्रेरणा मंच के महासचिव अविनाश अग्निहोत्री ने कहा कि आगरा की वाह तहसील के गांव मई में 1888 में जन्मे दीक्षित जी ने शहर के तिलक इंटर कालेज (तत्कालीन झनी विद्यालय) में शैक्षिक सेवाएं देते हुए भारत माता को विदेशी दासता से मुक्त कराने के लिए मातृवेदी संस्था की स्थापना कर औरैया की घरती से अंग्रेजो के विरुद्ध सशस्त्र क्रान्ति की शुरुआत की थी। आजाद, भगत सिंह,विस्मिल समेत बीहड़ के कुछ बागी भी उनके साथ जुड़े हुए थे। अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद सहित सभी क्रान्तिकारियो ने इनको अपना गुरु मानते हुए द्रोणाचार्य की उपाधि दी थी । क्रान्तिकारी गेंदालाल दीक्षित से इतनी भयभीत थी । कि उस समय उनको ज़िंदा या मुर्दा पकड़वाने पर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। 21 दिसम्बर 1920 को उन्होंने मातृभूमि को अंतिम प्रणाम किया। संचालन कर रहे भारत प्रेरणा मंच के अध्यक्ष अजय अंजाम व डा० गोविन्द द्विवेदी ने पं० गेंदालाल दीक्षित के क्रांतिकारी जीवन पर प्रकाश डाला। कैप्टन जगपाल सिंह भदौरिया मानसिंह पाल कुंवर सिंह चौहान सुरेश सेंगर राकेश दुबे महाराज सिंह पाल अभिषेक तिवारी अंकित तिवारी यदुनाथ पाल सज्जन दीक्षित अंजनी चर्तुवेदी रिंकू मिश्रा सहित बड़ी संख्या पूर्व सैनिकों और शहर गणमान्य जनों ने पं॰ गेंदालाल दीक्षित की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।