औरैया 01 फरवरी 24-जिलाधिकारी नेहा प्रकाश ने आंगनबाड़ी केंद्र व प्राथमिक विद्यालय (कंपोजिट) तुर्कीपुर में पहुंचकर कृमिनाशक दवा एल्बेंडाजोल की गोली बच्चों को खिलाकर अभियान का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि मनुष्य की आंत में रहने वाले कृमि, बच्चों और किशोर/किशोरियों में कुपोषण के साथ-साथ एनीमिया का भी कारक बनते हैं। इससे बचाव के लिए कृमि मुक्ति की दवा का सेवन अनिवार्य है। इसी उद्देश्य से एक फरवरी को जिले के स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया गया।
कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि जिले में 7.17 लाख से अधिक बच्चों और किशोरों को कृमि मुक्ति की दवा यानि पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाने के उद्देश्य से यह अभियान शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि किसी कारण आज जो बच्चे दवा नहीं खा पाए हैं उनको 05 फरवरी 2024 को चलने वाले मॉपअप राउंड में दवा खिलाई जाएगी। उन्होंने अभिभावकों से अपील की है कि वह अपने बच्चों को पेट के कीड़े मारने की दवा अवश्य खिलाएं। उन्होंने कहा की इस दवा के सेवन से स्वास्थ्य और पोषण स्तर में सुधार के साथ साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी बढ़ोत्तरी होगी। समुदाय में कृमि संक्रमण की व्यापकता में कमी लाने में इस कार्यक्रम का अहम योगदान है। कृमि से बचाव की दवा बच्चों और वयस्क दोनों के लिए सुरक्षित है। दवा से किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।
कार्यक्रम में नोडल अधिकारी व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ शिशिर पुरी ने बताया कि एक से 19 वर्ष तक आयु के लक्षित करीब 7.17 लाख बच्चों को कृमि संक्रमण से बचाने के लिए 10 फरवरी को चिन्हित स्कूल-कॉलेज और आंगनबाड़ी केंद्रों पर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान के तहत एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि बीमार बच्चे को कृमि मुक्ति की दवा नहीं खिलाई जाएगी। यदि किसी भी तरह उल्टी या मिचली महसूस होती है तो घबराने की जरूरत नहीं। पेट में कीड़े ज्यादा होने पर दवा खाने के बाद सरदर्द, उल्टी, मिचली, थकान होना या चक्कर आना महसूस होना एक सामान्य प्रक्रिया है। दवा खाने के थोड़ी देर बाद सब सही हो जाता है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी वीरेंद्र कुमार ने बताया कि बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। इसलिए एल्बेन्डाजॉल खाने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं। अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण कृमि हजम कर जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी (एनीमिया) समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कृमि मुक्ति दवा बच्चे को कुपोषण, खून की कमी समेत कई प्रकार की दिक्कतों से बचाती है। इस मौके पर बीएसए अनिल कुमार, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राकेश सिंह, डीसीपीएम अजय पांडेय, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का स्टाफ और स्कूल के शिक्षकगण मौजूद रहे।
कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि जिले में 7.17 लाख से अधिक बच्चों और किशोरों को कृमि मुक्ति की दवा यानि पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाने के उद्देश्य से यह अभियान शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि किसी कारण आज जो बच्चे दवा नहीं खा पाए हैं उनको 05 फरवरी 2024 को चलने वाले मॉपअप राउंड में दवा खिलाई जाएगी। उन्होंने अभिभावकों से अपील की है कि वह अपने बच्चों को पेट के कीड़े मारने की दवा अवश्य खिलाएं। उन्होंने कहा की इस दवा के सेवन से स्वास्थ्य और पोषण स्तर में सुधार के साथ साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी बढ़ोत्तरी होगी। समुदाय में कृमि संक्रमण की व्यापकता में कमी लाने में इस कार्यक्रम का अहम योगदान है। कृमि से बचाव की दवा बच्चों और वयस्क दोनों के लिए सुरक्षित है। दवा से किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।
कार्यक्रम में नोडल अधिकारी व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ शिशिर पुरी ने बताया कि एक से 19 वर्ष तक आयु के लक्षित करीब 7.17 लाख बच्चों को कृमि संक्रमण से बचाने के लिए 10 फरवरी को चिन्हित स्कूल-कॉलेज और आंगनबाड़ी केंद्रों पर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान के तहत एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि बीमार बच्चे को कृमि मुक्ति की दवा नहीं खिलाई जाएगी। यदि किसी भी तरह उल्टी या मिचली महसूस होती है तो घबराने की जरूरत नहीं। पेट में कीड़े ज्यादा होने पर दवा खाने के बाद सरदर्द, उल्टी, मिचली, थकान होना या चक्कर आना महसूस होना एक सामान्य प्रक्रिया है। दवा खाने के थोड़ी देर बाद सब सही हो जाता है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी वीरेंद्र कुमार ने बताया कि बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। इसलिए एल्बेन्डाजॉल खाने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं। अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण कृमि हजम कर जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी (एनीमिया) समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कृमि मुक्ति दवा बच्चे को कुपोषण, खून की कमी समेत कई प्रकार की दिक्कतों से बचाती है। इस मौके पर बीएसए अनिल कुमार, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राकेश सिंह, डीसीपीएम अजय पांडेय, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का स्टाफ और स्कूल के शिक्षकगण मौजूद रहे।