चूहा एवं छछूंदर नियंत्रण हेतु जागरूकता कार्यक्रम

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औरैया 30 सितंबर 24-जिला कृषि रक्षा अधिकारी शैलेन्द्र कुमार वर्मा ने अवगत कराया है कि प्रिय किसान भाइयों एवं बहनों उ.प्र. सरकार द्वारा संसारी रोग नियंत्रण हेतु दिनांक 01.10.2024 से 31.10.2024 तक संचारी रोग नियंत्रण अभियान (तृतीय चरण) चलाया जा रहा है। जिसके क्रम में प्रत्येक ग्राम पंचायत में कृषि विभाग के ग्राम स्तरीय कार्मिकों द्वारा कृषको को प्रतिदिन जानकारी दी जायेगी। इस अभियान में कृषि विभाग (कृषि रक्षा अनुभाग) द्वारा चूहा एवं छछूंदर नियंत्रण हेतु जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाना है। कतिपय संचारी रोग चूहों एवं छछूंदर द्वारा भी फैलते हैं। निम्न उपाय अपनाकर  नियंत्रण किया जा सकता है-
*चूहों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए अन्न  भंडारण पक्की, कंक्रीट तथा धातु से बने पात्रों में करना चाहिए ताकि उनको सुगमता से उपलब्ध न हो सके।
*चूहें अपना बिल झाड़ियों कूड़े एवं मेड़ों आदि में स्थायी रूप से बनाते साफ-सफाई करके इनकी संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
*चूहों के प्राकृतिक शत्रुओं बिल्ली, साप, उल्लू, लोमड़ी, बाज एवं चमगादड़ आदि द्वारा चूहों को भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है. इनको संरक्षण देने से चूहों की संख्या नियंत्रित हो सकती है।
*चूहेदानी का प्रयोग करके उनके लिए चारा जैसे रोटी, डबलरोटी, बिस्कुट आदि रखकर चूहों को फंसा कर आबादी से दूर छोड़ने अथवा मार देने से इनकी संख्या नियंत्रित की जा सकती है।
*घरों में चूहामार ब्रोयोडियोलान 0.005 प्रतिशत के बने चारे की 10 ग्राम मात्रा प्रत्येक जिन्दा बिल में रखने से चूहे उसे खाकर मर जाते हैं।
*दवा एल्यूमिनियम फास्फाइड दवा की 3-4 ग्राम मात्रा प्रति जिन्दा बिल में डालकर जिससे चूहे के रहने की बिल बन्द कर देने से उससे निकलने वाली फास्फीन गैस से चूहें मर जाते हैं। चूहा और छछूंदर बहुत चालाक प्राणी है. इसको ध्यान में रखते हुए छः दिवसीय योजना बनाकर उनको नियंत्रित किया जा सकता है।                                                *प्रथम दिन-आवासीय घरों निरीक्षण एवं बिलों को बंद करते हुए चिन्हित करे या झंडे लगाये।                          *दूसरे दिन घर का निरीक्षण कर जो बिल बंद हो यहाँ से हटा दें और जहाँ पर बिल खुले पाये यहाँ पर चिन्ह लगे रहने दें। खुले बिल में एक भाग सरसों का तेल एवं 48 भाग भुने दाने का चारा बिना जहर मिलायें और बिल में रखें।
*तीसरे दिन बिलों का निरीक्षण कर बिना जहर का चारा पुनः रख दें।
*चौथे दिन जिंक फास्फाइड 80 प्रतिशत की एक ग्राम मात्रा को एक ग्राम सरसों के तेल एवं 48 ग्राम भुने दाने के हिसाब से बनाये गये चारे को मिलाकर बिलों में रखें।
*पाँचवें दिन बिलों का निरीक्षण करे एवं मरे हुए चूहों को एकत्र कर जमीन में गाड़ दें।
छठवें दिन-बिलों को पुनः बन्द करे तथा अगले दिन यदि बिल खुले पाये जाये तो साप्ताहिक कार्यक्रम पुनः अपनाये।
*चूहें एवं छछूंदर से फैलने वाले रोग तीव्र इंसेफेलाइटिस सिन्ड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome-AES) वाले बहुत से रोगियों में टाइफस होता है। पिस्सुओं के काटने से होने वाली इस बीमारी में भी डेंगू की तरह प्लेटलेट्स की संख्या में कमी आती है।
*चूहें और छछूंदर के ऊपर पाए जाने वाले पिस्सू या चिगर्स संपर्क में आने से यह बीमारी फैलती है। चिगर्स या पिस्सू के संपर्क में आने वाले व्यक्ति को बुखार के साथ खुजली होने लगती है। बीमारी फैलने से रोकने हेतु चूहा एवं छछूंदर का नियंत्रण किया जाना आवश्यक है, तथा मरे हुए चूहों को आबादी से दूर जमीन में गहरे गड्ढे में गाड़ देना चाहिए। चूहा या पिस्सू के संपर्क में आने पर  चूहा और छछूंदर के ऊपर पाये जाने वाले पिस्सू के संपर्क में वाले व्यक्ति को बुखार के साथ खुजली होने लगती है। है तथा मरे हुए चूहों को आबादी से दूर जमीन में गहरे गड्ढे में गाड़ देना चाहिए। चूहा नियंत्रण के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां-चूहा नियंत्रण रसायनों का प्रयोग करते समय हाथ में दस्ताने पहने, रसायनों को बच्चों एवं जानवरों की पहुंच से दूर रखे, मरे हुए चूहों को सावधानी पूर्वक गहरा गड्ढा खोदकर मिट्टी में दबा दे। रासायनिक दवा के प्रयोग के दौरान घर में रखी खाद्य सामग्री इत्यादि, को अच्छी तरह से ढक दें। केवल वैध कीटनाशक लाइसेंस धारक दुकानदार से ही चूहा नियंत्रण दवा खरीदें दवा का बिल अवश्य प्राप्त करें। अधिक जानकारी हेतु अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र अथवा कृषि  रक्षा इकाई, बीज गोदाम अथवा एग्री जंक्शन एग्रो क्लीनिक पर संपर्क करें।

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